बारिश के कहर के बीच आया भूकंप बेहद खतरनाक, कांगड़ा में लगे झटके से दहशत

कांगड़ा । भारी बारिश के चलते भूकंप का आना बेहद खतरनाक माना जाता है। बारिश से हो रही तबाही के बीच हिमाचल के कांगड़ा में आए भूकंप ने लोगों को डरा दिया है। हालांकि राहत की बात ये है कि रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.9 थी जो काफी कम मानी जाती है जिसके कारण कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है। कांगड़ा ज़िले में सोमवार सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर धरती हिल गई। तेज झटकों के कारण लोग सहम गए और घरों से बाहर निकल आए। अभी तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन डर का माहौल गहरा गया है। पहले से ही लगातार मूसलाधार बारिश ने कांगड़ा और आसपास के इलाकों को बेहाल कर रखा है। सड़कों पर जगह-जगह भूस्खलन हो रहे हैं, पानी भरने से हालात बिगड़े हुए हैं। अब भूकंप के झटकों ने लोगों की चिंता को और बढ़ा दिया है।
स्थानीय लोग कह रहे हैं कि पहाड़ पहले ही बारिश से कमजोर हो चुके हैं, ऐसे में भूकंप से भूस्खलन और दरारों का खतरा और बढ़ सकता है। बारिश से डर, अब भूकंप ने नींद उड़ा दी है। प्रशासन की ओर से तुरंत अलर्ट जारी किया गया है। राहत और बचाव टीमें चौकस कर दी गई हैं। अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित जगहों पर रहें और किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश और भूकंप का कम्बिनेशन बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। लगातार नमी से मिट्टी ढीली हो जाती है और ऐसे में हल्के झटके भी बड़े भूस्खलन का कारण बन सकते हैं। यानी, हिमाचल इस समय दोहरी आपदा की आशंका झेल रहा है। एक ओर आसमान से बरसता कहर, दूसरी ओर धरती की कंपकंपी।
जानकारों का कहना है कि भारी बारिश और भूकंप का कॉम्बीनेशन से पहाड़ों की मिट्टी और चट्टान कमजोर हो जाती हैं लगातार बारिश से मिट्टी पानी सोख लेती है और ढीली व भारी हो जाती है।
इससे ढलान वाली ज़मीन का संतुलन बिगड़ जाता है।ऐसे में अगर भूकंप के झटके लगें तो मिट्टी-चट्टान खिसकने लगती है और भूस्खलन हो सकता है। इसके अलावा लैंडस्लाइड और बादल फटने का खतरा बढ़ता है। भूकंप की हल्की हलचल भी बारिश से भीगी मिट्टी को सरकाने के लिए काफी होती है। कई जगह अचानक बादल फटने जैसी स्थिति भी बन सकती है, क्योंकि पहाड़ पहले से कमजोर हैं। नदियों और झीलों पर असर होता है और बारिश से पहले ही नदियों और झीलों में पानी भर जाता है। अगर भूकंप से चट्टानें गिर जाएं तो पानी का रास्ता रुक सकता है और अचानक फ्लैश फ्लड का खतरा बढ़ जाता है।
हिमाचल में कई जगह लगे झटके
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप का केंद्र धर्मशाला से करीब 23 किलोमीटर दूर स्थित था। जिसकी गहराई 10 किलोमीटर रही। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.9 आंकी गई जो हल्के स्तर का भूकंप माना जाता है, लेकिन रात के समय इसका असर लोगों को ज्यादा महसूस हुआ। बैजनाथ, पालमपुर,कांगड़ा, नगरोटा बगवां और धर्मशाला। इन इलाकों में लोग झटकों के बाद काफी देर तक घरों से बाहर रहे। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर भी अपने अनुभव साझा किए।