इन्दौर पूज्यपाद जगतगुरु श्री श्री 1008 आचार्य वसंत विजयानंद गिरिजी महाराज द्वारा इस नवरात्र पर इन्दौर के वीआईपी परस्पर नगर में प्रदेश के सबसे बड़े नवरात्रि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसकी तैयारियां लगभग पूर्ण हो गई है। नवरात्रि के पावन अवसर पर मुख्य भव्य और अद्वितीय धार्मिक आयोजन 22 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक होगा। इस दिव्य आयोजन का मार्गदर्शन कृष्णगिरी पीठाधीश्वर, पूज्यपाद जगतगुरु श्री श्री 1008 आचार्य वसंत विजयानंद गिरिजी महाराज द्वारा ही किया जाएगा। लगभग 25 एकड़ भूमि पर 22 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले इस दिव्य आयोजन हेतु विशाल प्रांगण को तैयार कर 25 हजार स्क्वायर फीट के भव्य, दिव्य और अलौकिक पंडाल में मां दुर्गा के 23 दिव्य रूपों के दर्शन कराएं जा रहे हैं। मां के इस भव्य अलौकिक और अध्यात्म से परिपूर्ण पंडाल को निहारने के लिए हर दिन सुबह से देर रात तक भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। आयोजन स्थल पर भव्य मुख्य प्रवेश द्वार से अंदर आते ही पंडाल के प्रवेश द्वार पर मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू नजर आ रहे है। ये पंडाल के प्रवेश द्वार को और भव्य बना रहे हैं। इस पंडाल में मां दुर्गा के दिव्य रूपों का दर्शन करने आने वाले भक्तों को पहले ही मां लक्ष्मी की समृद्धि की कृपा का आनंद मिलेगा और भक्त अपने परिवार के साथ मां के इन दिव्य रूपों का दर्शन कर सकेंगे। इस दिव्य और अलौकिक पंडाल को इस तरह तैयार किया हुआ है मानो मां अपने दिव्य रूपों के साथ बादलों के बीच विराजी हों। बादलों से पानी को बूंदें टपकने का एहसास ये पंडाल दे रहा है। आयोजन स्थल पर ही स्वर्ण लेपित अष्ट कलश भी स्थापित किए गए हैं। प्रतिदिन यज्ञ स्थल पर शाम 7 से रात 10 बजे तक देवी भागवत कथा भी होगी। इस कथा श्रवण में भक्तों का मां के दिव्य अवतारों से साक्षात्कार होगा। वहीं, शक्ति उपासना से मिलने वाले चमत्कारी फल भी प्राप्त होंगे। साथ ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति की प्राप्ति होगी। आयोजन में देवी भागवत कथा का भावपूर्ण पाठ एवं व्याख्यान होगा। 1 करोड़ कुमकुम अर्चन, 1 करोड़ मंत्र जाप और 10 लाख हवन आहुतियां होंगी। 11,000 स्वर्ण-लेपित अष्टलक्ष्मी कलशों को 1 करोड़ मंत्र जाप, 1 करोड़ कुमकुम अर्चन एवं 10 लाख आहुतियों से सिद्ध किया जाएगा। इन कलशों में महालक्ष्मी को आकर्षित करने के लिए विभिन्न थैलियों में दिव्य वस्तुएं रखी जा रही हैं, जिनमें दक्षिणावर्ती शंख, नव रत्न, 32 प्रकार के उपरत्न, 32 प्रकार के रत्न, दो दुर्लभ रुद्राक्ष, 999 शुद्धता वाला महालक्ष्मी मुद्रित 5 ग्राम का चांदी का सिक्का, पंचधातु (सोना, चांदी, तांबा, पीतल, कांसा), 154 प्रकार की दुर्लभ औषधियां सहित कुल 451 दिव्य सामग्रियां शामिल है। आयोजन में 30000 किलो शुद्ध मेवे एवं औषधियां, 20000 किलो पीले, सफ़ेद लाल चंदनादि पवित्र वृक्षों की समिधाएं, 7000 किलो देसी गाय का घी, खजूर, किशमिश, आँवला जैसे दिव्य फल और दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ और अन्य दिव्य सामग्री उपयोग में लाई जाएगी, जो इसे अध्यात्म और भव्यता का अनुपम संगम बनाएगी।