नई दिल्ली । भारत की नौसेना को और मजबूत बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना इस साल के आखिर में इंडिजेनस टेक्नोलॉजी क्रूज मिसाइल का परीक्षण करने की तैयारी कर रहे हैं। यह मिसाइल 1000 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। यह परीक्षण भारत को एक बहुमुखी और लंबी दूरी की सबसोनिक क्रूज मिसाइल देने की दिशा में अहम कदम है।
आईटीसीएम निर्भय क्रूज मिसाइल प्रोजेक्ट का विकसित रूप है। यह एक सबसोनिक यानी धीमी गति वाली मिसाइल है, जो जमीन और समुद्र दोनों के लक्ष्यों पर सटीक निशाना लगा सकती है। इसकी रेंज 1000 किलोमीटर है। मिसाइल में एडवांस एवियोनिक्स, बेहतरीन नेविगेशन और जमीन से चिपककर उड़ने की क्षमता है, जो दुश्मन के रडार से बचने में मदद करती है। आईटीसीएम को अलग-अलग प्लेटफॉर्म के लिए कई रूपों में बनाया जा रहा है, ताकि यह हर जगह काम कर सके।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2023 में इसका परीक्षण सफल रहा था। यह पनडुब्बियों से पानी के नीचे लॉन्च होती है। इससे भारत की नौसेना की ताकत बढ़ी है। लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का पहला परीक्षण 12 नवंबर 2024 को ओडिशा के चंदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से किया गया था। यह मोबाइल लॉन्चर से फायर हुई। 1000 किमी रेंज और सटीक नेविगेशन को साबित किया। इसका डेवलपमेंट जारी है। भारतीय वायुसेना के सु-30 एमकेआई और राफेल जैसे विमानों पर लगाने की योजना है, ताकि लंबी दूरी के हमले हो सकें। इसी वेरिएंट का परीक्षण जल्द किया जाएगा। यह नौसेना के युद्धपोतों से फायर होगी और दूर से ही दुश्मन पर निशाना साधेगी।
इस परीक्षण के लिए डीआरडीओ एक अस्थाई वर्टिकल लॉन्च सिस्टम बना रहा है, जो खासतौर पर युद्धपोतों के लिए डिजाइन किया जा रहा है। यह लॉन्चर जहाजों से मिसाइल को आसानी से छोड़ने में मदद करेगा। भारतीय नौसेना पुराने रूसी यूकेएसके सेल्स को बदलकर यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल्स अपना रही है। इससे ब्रह्मोस और आईटीसीएम जैसी कई मिसाइलें एक ही जगह से लॉन्च हो सकेंगी।
परीक्षण का मुख्य फोकस मिसाइल को जहाज के रडार सिस्टम से जोड़ना है। मिसाइल का गाइडेंस और नेविगेशन जहाज के मल्टी-फंक्शन रडार और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ेगा। इससे लक्ष्य को सही ढूंढना और हमला करना आसान होगा। मिसाइल का स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर पहले के परीक्षणों में अच्छा काम कर चुका है। यह परीक्षण में सटीक निशाना लगाने में बड़ा रोल अदा करेगा। भारतीय नौसेना की मुख्य हमला करने वाली मिसाइल ब्रह्मोस है, जो सुपरसोनिक है। ब्रह्मोस को 900 किमी रेंज तक अपग्रेड किया जा रहा है, लेकिन आईटीसीएम 1000 किमी दूर तक मार सकती है। सबसोनिक होने से सस्ती भी है। दोनों मिसाइलें मिलकर नौसेना को मजबूती प्रदान करेंगी।
परीक्षण सफल होने पर भारतीय नौसेना करीब 200 एलआरएलएसीएम मिसाइलें खरीदेगी, जिसकी कीमत करीब 5000 करोड़ रुपए होगी। जहाज से लॉन्च होने वाली आईटीसीएम नौसेना की पारंपरिक रोकथाम क्षमता बढ़ाएगी। यह चीन की बढ़ती नौसेना को भारतीय महासागर में जवाब देने और पाकिस्तान की समुद्री ताकत का मुकाबला करने में मदद करेगी। यह परीक्षण भारत की स्वदेशी हथियार बनाने की क्षमता को दुनिया के सामने पेश करेगा। डीआरडीओ और नौसेना की टीम मिलकर भारत को मजबूत रक्षा प्रणाली दे रही है। जल्द ही यह मिसाइल हमारी नौसेना का नया हथियार बनेगी।