(इन्दौर) राष्ट्रभक्ति की तरह रामभक्ति को भी मजबूत बनाएं : स्वामी रामदयाल महाराज –

:: छत्रीबाग रामद्वारा पर जगदगुरू के सान्निध्य में भक्ति सत्संग जारी ::
इन्दौर (ईएमएस)। सत्संग में श्रवण भक्ति की तरह कीर्तन भक्ति भी स्वयं को आनंदित बनाए रखने का महत्वपूर्ण चरण होता है। राष्ट्र भक्ति की तरह हमारी राम भक्ति भी मजबूत होना चाहिए। भक्ति के बीज बचपन से ही अंकुरित हो जाना चाहिए तभी उसका लाभ पचपन तक मिल सकेगा। बाल्यकाल में रोपे गए संस्कार व्यक्ति के संपूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं। रामस्नेही संप्रदाय के मूलाचार्य स्वामी रामचरण महाराज ऐसे बिरले संत थे, जिन्होंने भक्ति के माध्यम से समाज को नई चेतना और ऊर्जा प्रदान की है। भक्ति में प्रदर्शन नहीं, दर्शन के भाव होना चाहिए।
ये दिव्य विचार हैं अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के, जो उन्होंने आज छत्रीबाग रामद्वारा पर चल रहे भक्ति सत्संग के कार्यक्रम में उपस्थित भक्तों की महती सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। सत्संग का यह आयोजन स्वामी रामचरण के त्रिशताब्दी महोत्सव मे उपलक्ष्य में किया जा रहा है। देश के सभी रामद्वारों में इस तरह के भक्ति सत्संग के आयोजन चल रहे हैं। प्रारंभ में ट्रस्ट की ओर से रामसहाय विजयवर्गीय, सुरेश काकाणी, रामनिवास मोढ़, वासुदेव सोलंकी, रामकृष्ण पोरवाल, श्याम भूतड़ा आदि ने आचार्यश्री एवं अन्य संतों की अगवानी की। छत्रीबाग रामद्वारा पर प्रतिदिन प्रातः 7.30 बजे से वाणीजी का पाठ, 8.30 से 9.45 तक आचार्यश्री एवं अन्य संतों के प्रवचन तथा प्रतिदिन सूर्यास्त के समय संध्या आरती का क्रम 9 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान आचार्यश्री शहर के धार्मिक-सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों से भी त्रिशताब्दी महोत्सव के सिलसिले में मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।
आचार्यश्री ने कीर्तन भक्ति की महत्ता बताते हुए कहा कि भारत भूमि में ऐसे अनेक भक्त हुए हैं, जिन्होंने केवल अपने भजन और कीर्तन के माध्यम से ही भगवान को रिझाने में सफलता प्राप्त की है। कीर्तन भक्ति के सर्वोच्च शिखर का भी प्रमाण है। स्वयं को भुलाकर परमात्मा की भक्ति को पूरी मस्ती के साथ आत्मसात करना ही कीर्तन भक्ति है, जिसमें रसना के साथ शरीर के भावों की भी अभिव्यक्ति होती है। भजन और कीर्तन जहां मन के विकारों को बाहर निकालते हैं, वहीं भक्ति में पूरी तरह समाहित होने के भी सूचक हैं। राष्ट्रभक्ति पर तो किसी को संदेह नहीं होना चाहिए, रामभक्ति भी अब मजबूत होना चाहिए। राम इस देश के आधार स्तंभ और आदर्श प्रणेता हैं, जिनकी भक्ति निश्चित ही हमको एक संस्कारित और चरित्रवान नागरिक बनने के मार्ग पर ले जाएगी।
उमेश/पीएम/03 दिसम्बर 2018

संलग्न चित्र –
इन्दौर। अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयालजी महाराज भक्तों के सैलाब को संबोधित करते हुए। – (फोटो :- ईएमएस)