पहचान पत्र मिलने से 2.7 लाख रोहिंग्या के वतन वापसी की उम्मीद

ढाका । शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी एवं बांग्लादेश सरकार ने बांग्लादेश में रह रहे 2.7 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों को पहचान पत्र जारी किए है। इस पहचान पत्र के माध्यम से शरणार्थियों को वतन वापसी का अधिकार भी मिल जाएगा। बता दें कि म्यांमार में हिंसा का शिकार हुए रोहिंग्या समुदाय के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि इन समुदाय के पास अभी तक कोई पहचान पत्र नहीं था। इसी वजह से वह राज्यविहीन शरणार्थी बने रहे हैं। इस बारे में बताते हुए यूएनएचसीआर के प्रवक्ता आंद्रेज माहसिस के अनुसार म्यांमार से आए 2.70 लाख से भी ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों को पंजीकृत कर पहचान पत्र जारी कर दिए गए हैं। पिछले वर्ष जून से शुरू हुई पंजीकरण की इस प्रक्रिया को इस साल के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है।
रोहिंग्या शरणार्थियों की बड़ी संख्या के पास अभी तक कोई कोई पहचान पत्र नहीं था। परंतु अब पहचान पत्र मिलने से उन्हें मानवीय अधिकार भी मिल पाएंगे। मालूम हो कि अगस्त 2017 से रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ बड़ी हिंसा ने जन्म लिया, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों और पुरुषों ने जान गवांई। इसके बाद भय की वजह से लगभग 1741000 रोहिंग्या ने भागकर बांग्लादेश में शरण ली। दरअसल म्यांमार देश के रखाइन राज्य और बांग्लादेश के चटगांव इलाके इस समुदाय के मूल क्षेत्र है। रखाइन राज्य के बौद्ध बहुल होने के कारण रोहिंग्याओं पर इस समुदाय ने हमले किए। म्यांमार में सुरक्षाबलों के भी आम रोहिंग्याओं पर हमले किए। अत्याचार के इस माहौल से तंग आकर समुदाय की बड़ी आबादी थाईलैंड में शिफ्ट हो गई।