राम बनवास

देख कर  दर्पण राजा  दशरथ जी,

अब नृप के  बाल  सफेद हो गया।

अना  यास  विचार  मन  में आया,

राज्या भिषेक के  तैयारी हो गया।।

अवसर पा  महल  में  मंथरा आई,

मौका पाकर रनिवास में कर प्रवेश।

हंसी- हंसी  बोल  कर  कैकेयी को,

पाठ पढ़ाई रानी को होगई आवेश।।

बैठी  रानी कोप  भवन में चुपचाप,

ना   राज्याभिषेक  राम  की आज।

वन में श्री  राम भरत  जी को राज,

कैकेयी  मांगी दो वर नृप से आज।।

सुन वचन  कैकेयी के अवध नरेश,

महल में  मूर्छित  होकर  गिर गया।

नहीं हुआ  राज्याभिषेक  अवध में,

राजा  दशरथ  स्वर्गवास  हो गया।।

            देवीदीन चंद्रवंशी

          तहसील पुष्पराजगढ़

        जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश