किस्सा नाक का

शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों की तरह नाक का योगदान  भी हमारे शरीर में  बहुत महत्वपूर्ण होता  है l ये हमारे शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने वाला एक महत्वपूर्ण अंग है l  कोरोना काल में ये शरीर के उन नाजुक अंगों में एक हुआ करता था  l  जिसको ढँककर रखने की आवश्यकता पर जरुरत से ज्यादा जोर दिया गया था  l हमारे समाज में कुछ ऊँची नाक वाले  लोग भी होतें हैं l  जिनकों अपनी नाक बहुत प्यारी होती है l  इनकी नाक के कटने की संभावना बराबर बनी रहती है l  राजनैतिक लोग जब चुनाव लड़ने के लिए जातें हैं l तो ये उनके लिए भी नाक बचाने का बहुत बड़ा प्रश्न होता है l 

 l  एक तरह से प्रतिष्ठा  का पर्यायवाची शब्द नाक ही होता है  l  जिसे हम सामाजिक जीवन में नाक के उपनाम से भी जानतें हैं l आदिकाल में लक्ष्मण ने शूर्पनखा की नाक प्रेम निवेदन करने पर काट ली थी l राक्षसी प्रवृतियों पर लगाम लगाना आदिकाल से देवताओं का काम रहा l  द्रोणाचार्य से लेकर और भी कई उदाहरण हमारे आदिकालीन ग्रँथों में भरे पड़ें हैं l  जैसे अहिल्या और इँद्र प्रसंग हैं l  जहाँ इँद्र ने माता अहिल्या का अप्रत्यक्ष तौर पर नाक काट ली थी l  देवताओ के बहुत सारे अत्याचारों से वेद- पुराण आध्यात्मिक  प्रसंग भरे पड़ें हैं l  पुरातन समय और आज के समय में बड़ा अंतर आ गया है  l  आज के मनुष्य किसी अँधेरी रात में अगर शूर्पनखा को पा जाएँ l तो उसकी नाक , आँख कान कुछ  साबुत ना बचेगी l  और, पुलिस वाले रातों- रात  रावण की गैर मौजूदगी में शूर्पनखा का शव भी बिना अंत्यपरीक्षण के जल्दी बाजी में जला दें  l  ऐसा हमारा सामाजिक ढाँचा धीरे – धीरे बनता चला गया है l वैसे साबुत नाक खापें भी नहीं बचने देतीं l और आॅनर किलिंग को अंजाम देतीं हैं l  प्रेम का जितना उद्दार रुप हम अपने सामाजिक जीवन में पातें हैं l व्यवहारिक रूप, में हम उतना उद्दार नहीं हो पातें l  क्योंकि, प्रेम को हमने सिर्फ किताबों में पढ़ा है  l  कृष्ण और राधा l मीरा और कृष्ण या और लोग जिनका प्रेम पुराणों में बहुत ही सात्विक  माना गया है l  हमारे निजी जीवन में उतना ही अव्यवहारिक या किलिष्ट है l  व्यवहारिक जीवण में प्रेम करना l आ बैल मुझे मार वाली कहावत का अपने ऊपर 

चरितार्थ करने जैसा होगा  l या आप बारूद पर बैठकर उसको दियासलाई  दिखा रहें हों जैसा होगा l अब कौन बैठे मिसाईल के मुँह पर  जब पता है कि उसमें आग लगने वाली है l  लेकिन, इतिहास  गवाह है  l कि कृष्ण और राधा नें l शींरीं और फरहाद  ने l लैला और मजनूँ  ने l सलीम और अनार कली ने  जो प्रेम की मिसाल पेश की  l वो आधुनिक प्रेमियों के लिए एक नजीर बन गई  l 

इसलिए  खापों के खौफ से मत खबराईये l और खुद भी प्रेम कीजिये l और दूसरों को भी प्रेम करने की प्रेरणा दीजिये l भले ही लोग नाक काट लें  l  या लोगों की नाक कट जाये  ! 

महेश कुमार केशरी

C/O-मेघदूत मार्केट फुसरो

 बोकारो झारखंड

पिन-829144