समय का खेल

समय समय का खेल है

समय पे कछु न बसाय

विपदा का क्षण आइ जब

कोउ न होय सहाय

परमेश्वर जिसके पति

क्या विधि लिखी बनाय

मातु सिया के हरण पर

श्रीराम न हुए सहाय

वीरों की अर्धांगनी

द्रौपदी रानी कहलाय

चीर हरण के समय पर

पांडव भी असहाय

रघुवंशी मणि दशरथ 

हुए चक्रवर्ती सम्राट

पत्नी से आहत हुए

मृत्यु लिखी ललाट

राम गए वन गमन को

भूप रहे बिलखाय

प्राण त्याग भूपति कियो

नहिं दर्शन पुत्रन पाय

विश्व विजयी लंकेश था

पाटी से काल बंधाय

राम संग संग्राम में

निर्जन और असहाय

भगवान कृष्ण बलशाली

सोलह कला पूर्ण अवतारी

बाण बहेलिया हनन पर

तनहा थे त्रिपुरारी

शरशैय्या पर रणभूमि में

भीष्म पितामह असहाय 

हृदय वेदना सुनन को

अपना कोई न कहाय

अभिमन्यु युवराज पर

परिजन बलि बलि जांय

चक्रव्यूह में फंसे जब 

कोउ न हुआ सहाय

सीख सको तो सीख लो

 दुनिया की यह रीत

संकट जब भारी पड़े

कोउ न होवे मीत

आए अकेले जगत में

लड़ना पड़े अकेला

करनी अच्छी कीजिए

स्वारथ का है मेला

परमार्थ की राह चल

आचरण रखो तुम अच्छा

मन में दृढ़ विश्वास रख

फल मिलेगा तुम्हें अच्छा।।2।।

राजेश शर्मा

नागपुर