वीनू के मुक्तक

ईश कृपा से जग चले, 

और चले संसार।

खुशी खुशी हम सौंप दें, 

उसको ही पतवार।

सुख-दुख को मानें सदा, 

इस जीवन का खेल,

वीनू इसको मानती,

जीने का आधार।01।

कर्म सदा अच्छे करें, 

हिय धारें हम ज्ञान,

इससे ही मिल जायगा, 

जग में सब सम्मान।

वृक्षों से सीखे सदा,?

कैसे देते दान,

हर पल देते ही रहे, 

मनुज रखे ये ध्यान।02।

भक्ति भाव की नाव का, 

हैं गिरिधर आधार।

आकर अपने भगत का, 

स्वयं उठाते भार।

तज कर मन अभिमान को, 

करले उनका ध्यान,

गुरुजन का कहना यही, 

जीवन का यह सार।03।

वीनू शर्मा

जयपुर-राजस्थान