उसके घर का राशन खत्म होने को है
घर में छोटे छोटे बच्चे है,
हर बार की तरह
दिवाली आयी है
पापी पेट का सवाल है,
चुल्हा.. रोटियाॅं
बर्तन.. पानी
कपड़े..धोना
पिसना..परोसना
और एक लंबी साॅंस लेकर
दिया जलाना
इतना ही नहीं..
उसके घरवाले को रोज शराब
पीनी होती है
उसे पैसे ना दे तो वो पीटता है
उसे बुरी तरह..
इसिलिए वो खेत में मजदूरी करती है
बच्चे भूखे पेट ना रहे इसलिए
उसके माथे पर एक अलग ही
खींचाव सा दिखे हैं,
वो बिंदी नहीं
रोजमर्रा का संघर्ष है।
-सोनाली मराठे