यह रिश्ता तो अनमोल है
विश्वास का नहीं कच्चा डोर है
यह तो भाई – बहन का प्यार है
जो सूरज की रोशनी से तेज़ है।
अंश हैं हम अपने माता -पिता के
ताकत हैं हम अपने परिवार के
जो धागा विश्वास से है बहन ने बांधा
जीवन भर है वचन से बांधा।
हर रश्मों, हर कश्मों को निभाएंगे
आन या सम्मान पर
बहन के न आंच आने देंगे
हर समस्या में भाई पहले खड़ा होगा
जान अपनी देकर भी
रक्षा बन्धन का मान रखेंगे।
यह मासूम सा रिश्ता हमारा
यह ख़ामोश सी निगाहें
हर रास्ते में हम फूल खिलाएंगे
बहन के दामन को चांद तारों से सजाएंगे।
न कभी कांटे तेरे पांव में चुभे
न कभी दर्द तुझे छू पाए
न अंधेरे से तेरा कभी नाता हो
रक्षा बंधन में यह कसम एक
भाई का सबसे पहला हो।
बहन के आंसू न कभी कोई भाई देखे
इतनी खुशियां हर बहन को मिले
रब की देन है बहनें
बगिया में सुंदर सी फूल है बहनें।
डॉ जानकी झा
सहायक प्राध्यापिका,कवयित्री
कटक,ओडिशा