(१ )
मिलजुल खुशियां बांटें
आओ प्रदूषण मिटाएं
पटाखें आग लगाओ
अहम कलेश मिटाएं ।
(२ )
आज उल्लू ने
बनाया उल्लू
सट्टे से मिला
बाबा का ठुल्लू ।
(३ )
बिक रही रद्दी
किसी की गड्डी
सरस्वती किसी को
किसी को लक्ष्मी ।
(४ )
मिट्टी दिए आजकल
वोकल फ़ॉर लोकल
दिवाली में रॉकेट बोले
कितना अहम है बोतल।
( ५ )
दीवाली सफाई
अहम है भाई ।
झाड़े पोंछें यूं
नफ़रत हो सफाई ।
(६ )
मियां साइलेंट हरदम
घर में है बोलती बंद
बाहर गली में धाक है
बीबी तो है एटम बम ।
( ७ )
स्याह रात अमावस की
पूर्णिमा में यूं बदल गई
असहाय की जेब खनकी
ख़ुशी से मन मचल गई ।
सुरेश वैष्णव
भिलाई ( छत्तीसगढ़ )