ग़ज़ल

प्यार का पास गर  ख़ज़ाना है।

साथ उसके  मियाँ  ज़माना है।

एक दीपक नहीं महज दीपक,

रौशनी का  बड़ा  ख़जाना  है।

क़ैद में  भूलकर  नहीं  रखना,

प्यार को  हर  तरह बढ़ाना है।

एक रब  ही  करे  भलाई सब,

कौनकहता कि वो अजाना है।

हाल दिल का सुना दिया सारा,

दे  दिया प्यार  का  बयाना  है।

लोग   दीपावली   उसे  कहते,

मैंने   उल्लास  पर्व   जाना  है।

हमीद कानपुरी,

अब्दुल हमीद इदरीसी,

179, मीरपुर, छावनी, कानपुर-208004