एक दिया इधर भीl
एक दिया छत की मुंडेर पर जला आना,
जहां साया होता है गहन तमस का।
एक दिया उस बूढ़ी मां के कमरे के
आले पर जला आना,
जहां बेटे,बहू ,नाती,नातीने
जाने से कतराते हों।
एक दिया गांव के उस घर के
आंगन पर जला आना,
जहां से आने के बाद बेटा, बाप की
मौत पर भी लौटकर न गया हो।
एक दिया उन खेतों की
पगडंडियों पर जला आना,
जहां का अन्न खा कर वह
बड़ा,बहुत बड़ा आदमी बनकर
अपनी सुध बुध खो बैठा हो।
एक दिया उस चौखट पर जला आना,
जहां विधवा मां का एकमात्र लाडला
सीमा पर देश के नाम शहीद हो गया हो।
एक दीप उस घर में भी जला आना,
जिस घर की नर्स मां
नन्हे बच्चों को छोड़
मरीजों की सेवा में
काल कवलित हो गई हो।
एक दीप विपन्न कुम्हारों की बस्ती में
जला आना,
जहां कुमारों के अथक परिश्रम और
स्वेद के कणों से
पवित्र माटी के दीपों को
जग मे देकर,
उजास का उपहार दिया हो।
और एक दिया अपने
अंतर्मन में जला लेना,
जहां दुनिया भर की
इच्छा, कामना, स्पृहा और
भव जगत की लालसा
निवास करती हो,
एक दिए की लौ से
शायद पवित्र हो जाए
मन, मस्तिष्क, समाज
और संपूर्ण देश।
दीपावली के विचारों की
सदभावनाओं के साथ
अनंत शुभकामनाएं।
संजीव ठाकुर,रायपुर, छत्तीसगढ़, 9009 415 415,