तुम हो नहीं कहीं भी
आवाज के लिए कैसी है,
मेरी रूह तक है बिखरी,
तेरी याद फिर ये ऐसी कैसी है,
तेरे जहान में कोई
मेरी जगह नहीं है,
फिर भी चाहती हूं तुझको
फरियाद मेरी यह कैसी है
जज्बात की तमन्ना है
दिलों में ठहर जाने की |
इनायतों में नहीं तेरी
मुलाकात फिर ये कैसी है||
कुछ भी नहीं कहा था
कुछ भी नहीं सुना मैंने,
खामोशियों ने कह दी
दरकार फिर यह कैसी है||
अनुराधा पांडे
रीवा( मध्य प्रदेश)