वीर प्रसूता धरती ने
कितने वीरों को जाया है
मिट गए मातृभूमि पर जो
माटी का कर्ज चुकाया है!!
ऐसा ही इक लाल हुआ
बिरसा मुंडा जो कहलाया
खनिजों से खचित भूमि से
इक रत्न निकल कर आया!!
अंग्रेज हुकूमत की उसको
कुछ नीति समझ न आती थी
देख फिरंगी के चेहरे
भौंहे उसकी तन जाती थीं!!
देना लगान उन गोरों को
बिरसा को कभी स्वीकार न था
गोरों की नीति पर चलने को
बिरसा मुंडा तैयार न था!!
बढ़ गए क्रांति की ओर कदम
मुंडाओं का दल तैयार किया
पीछे न मुडकर फिर देखा
उस कुटिल नीति पर वार किया!!
कई जुल्म सहे अंग्रेजों के
फिर भी न झुका वो बलिदानी
रांची की जेल सलाखों में
दे दी जीवन की कुर्बानी!!
उसका वह त्याग समर्पण
लोगों के ह्रदय में पलता है
उर झारखंड की भूमि पर
वह अमर दीप सा जलता है!!
रश्मि मिश्रा ‘रश्मि’
भोपाल (मध्यप्रदेश)