खामोश रह के भी वो बोल जाता है जियादा ,
बात करने का उसका अपना हसीं अंदाज है।
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जीत लेता है वही ,बाजी अक्सर हर खेल में ,
जीतने का हुनर जिसने यारों सीखा ही नहीं।
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जिंदगी जीने का कुछ तो अर्थ होना चाहिए ,
दूसरे के काम आये मन में होना चाहिए।
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जाते हो तो जाओ पर जाओगे कितनी दूर ?
ये दुनिया इतनी बड़ी भी नहीं कि लौट ना सको।
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जुगनू की रोशनी से अब बहलना आ ही गया ,
इस शहर वालों को अब तिमिर से डर लगता नहीं।
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तेरे रूठने से डरता रहा मै ताजिन्दगी ,
आज तलक मुझको , तुझे न मनाने का मलाल है।
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महेंद्र कुमार वर्मा
भोपाल [म.प्र. ]
मो.– 9893836328