क्या क्या रंग दिखाती है,कैसी ये बेअबदी है
जीवन में मेरे लगता है,सुख के जैसा कुछ भी नही
उसको छोड़ के जाना था,कब तक कहते रुक जाओ
उसको गलती दिखती थी बस प्यार हमारा कुछ भी नही
जो भी प्यार हृदय में था,सब उससे हीं कर डाला
कैसे तुमको हां कर दूं मैं पास में मेरे कुछ भी नही
उसने बस घबराहट में हीं,हाथ को थामा था मेरा
मेरे उसके बीच में सच में ऐसा वैसा कुछ भी नही
डूबा मय के प्यालों में और ढूंढा आंखो आंखो में
खोज के सारी दुनिया जाना उसके जैसा कुछ भी नही
खुद को चांद समझती है,कैसी पागल लड़की है
उसमें तो चंदा के जैसा दाग कहीं पे कुछ भी नही
प्यार करो तो हो जाओ,सब तैयार लुटाने को
सब कुछ प्रेम का हो जायेगा और तुम्हारा कुछ भी नही
आनंद यादवपूर्णिया,बिहार
8271753513