जिंदगी के रंग कविताओं के संग

मां आज बेटी का ब्याह रचाने चली,

बिन बाबुल सभी रस्में निभाने चली,

भीग रहे नैना व्याकुल मां का मन है,

कैसे बिताऊंगी बेटी के बिना जीवन है,

वह मेरी परछाई साथ साथ रहती है,

मेरा सुख,दुख सभी बांट साथ लेती है,

घर की रौनक और घर सजाने चली,

मां आज बेटी का ब्याह रचाने चली l

अंखियों से कभी मैंने ओझल ना किया,

उसके बिना कुछ खाया पिया ना गया,

किसको देख कर अब मैं मुस्कुराऊंगी,

खाली दीवारों से कैसे अब मैं बतरऊंगी,

बेटी का  घर मा  आज  बसाने  चली ,

मां आज बेटी का ब्याह रचाने  चली l

संघर्षशील पुरा मां ने जीवन  बिताया,

आज तब खुशियों का यह दिन आया,

खुशियां मेरी लाडो की अब कम ना हो,

ससुराल में अखियां बेटी की नम ना हो,

कलेजे का टुकड़ा उन्हें थमाने  चली ,

मां आज बेटी का ब्याह रचाने  चली ,

रेनू गोस्वामी भोपाल मध्य प्रदेश