संजीव-नी|

हाँ मेरा शहर र्दिन के उजालों का शहर है,

ये मस्जिदों और शिवालों का शहर है |

नाजुक मिजाज लोग आशिक मिजाज भी,

तस्किने दिल को चाहने वालों का शहर है |

लोगों के लिए जन्नत से कम नहीं ,

चांदी की थाली,सोने के प्यालों का शहर है |

वो चाहतें है हथियारों की फसलें बोना मगर,

ये आज भी अम्नों चमन का शहर है|

बेलोस मोहब्बत यहाँ हर एक गली में,

ये मोहब्बत की लाजवाब मिसालों का शहर है |

यहाँ हर आँख में मेहनत की धनक है संजीव,

अख्लाक की चमकती मशालों का शहर है|

संजीव ठाकुर, रायपुर,छ.ग.9009415415,