बेटियाँ हमारी शान..

खेंतो की पगडंडियों पर

लाल – पीले आंचल

उडाती है बेटियाँ।

चिडियों के झुंड जैसी

हरदम चहचहाती है

बेटियाँ।

अपनी ठिठोली से

रोंतों को हंसाकर

सब गम खुद सह जाती है

बेटियाँ।

घर में आंगन की

तुलसी बनकर

घर को महकाती है

बेटियाँ।

अपनी पायल की सरगम से

सबके दिलों में

गुनगुनाती है

बेटियाँ।

कल – कल बहते निर्मल

पानी सी पावन

नजर आती है

बेटियाँ।

जब बेटे रूलाते है

बीच सफर में छोड़ जाते हैं

तब तिनका सा सहारा

बन जाती है बेटियाँ।

नि:स्वार्थ भाव से सेवा करके

बेगानों को भी

अपना बनाती है

बेटियाँ।

दुख हो या सुख हो

हर पल मुस्काती है

बेटियाँ।

क्यूँ देखते हैं दुनिया वाले

इनकों दो नजरों से

दीवारों से बने मकान को

घर बनाती है बेटियाँ।

हमारी आन, बान और

शान है बेटियाँ।

ईश्वर का वरदान है

बेटियाँ।

निधि “मानसिंह”

कैथल हरियाणा