कविता

  चांद और चकोर

तुम्हारी बेईमान जिद

हमारी ईमानदार जिद

एक की जिद जीतेगी

एक की जिद हारेगी

गर तुम्हारी जिद जीती

और मेरी जिद हारी

या फिर मेरी जिद जीती

और तुम्हारी जिद हारी

तो रिश्ता चकनाचूर होगा

कोई भी किसी का न होगा

एक बेईमान एक ईमानदार

तो जिंदगी बस सपना होगा.

न दिखेंगे किसी मोड़ पर

न मिलेंगे किसी छोर पर

चांद और चकोर के जैसा

सिर्फ अपना वजूद होगा

तरुण कुमार दाधीच

36,सर्वऋतु विलास,मेन रोड,

उदयपुर(राज) 313001