कैसा है ये गड़बड़ झाला…

कैसा है ये गड़बड़ झाला ,

किसने किसको कैसे पाला।

कुछ रुपयों की खातिर साहब ,

चढ़ जाएंगे सत्रह माला।

इज्जत की रोटी ना  भाए ,

उनको भाए रोकड़ काला।

कोई दादा जब मिलता है ,

लग जाता उनके मुख ताला।

रूखी सूखी वो ना चाहें ,

देना उनको बटर निवाला।

जीवन समझें गूढ़ पहेली ,

जैसे हो मकड़ी का जाला।

उनके घर जब आता संकट ,

जपने लगते रब की माला।

महेंद्र कुमार वर्मा

भोपाल [म.प्र.] मो–9893836328