मैं अंबेडकर हूं..

मैं अंबेडकर हूं 

जिंदा हूं उनमें 

जो रखते हैं विश्वास

स्वतंत्रता में, समानता में और बंधुत्व में।

मैं अंबेडकर हूं

जीवित हूं उनमें

जो करते है ‘जाति का विनाश’

और करते हैं अंतर्जातीय विवाह।

मैं अंबेडकर हूं

प्राणवान हूं उनमें

जो साथ देते हैं महिलाओं की प्रगति में

और उनके विकास के हैं साथी।

मैं अंबेडकर हूं 

चेतनशील हूं उनमें

जो बनते हैं शिक्षित,

 होते हैं संगठित और

करते हैं संघर्ष।

मैं अंबेडकर हूं

प्राणवंत हूं उनमें

जिनमें शील है, 

प्रज्ञा है, करुणा  और दया है

बुद्ध की भांति।

मैं अंबेडकर हूं

जीवंत हूं संविधान में

जो बांध कर रखता है 

हम सभी को एक सूत्र में।

— संतोष पटेल

नई दिल्ली