ये मेरा हिंदोस्तान है “

पहरेदार है अडिग हिमालय ,

गंगा जिसकी आत्मा है ।

क़ाबा से कैलाश तक यहां,

कण कण में परमात्मा है ।।

जिसकी संस्कृति महान है ।

ये मेरा हिंदोस्तान है ।।

अहिंसा की तपोधरा है ,

भंडार रत्नों से भरा है ।

पावन भूमि ऋषियों की,

दिन रात जिन्होंने जप करा है ।।

भरत का अभिमान है ।

ये मेरा हिंदोस्तान है ।।

चांद तक पहुंच गये है ,

क़दम फिर भी थमे नहीं है ।

बर्फ़ के हिमालय में भी,

बाज़ू हमारे जमे नहीं है ।।

गौतम गांधी का वरदान है ।

ये मेरा हिंदोस्तान है ।।

डॉक्टर वासिफ़ काज़ी

काज़ीकीक़लम

28/3/2 ,अहिल्या पल्टन ,इकबाल कालोनी ,इंदौर