खिड़कियां होती है प्रवेश द्वार।
प्राकृत नजारों का,
दूर दिखते तारों का,
बहने हवा के संग संग,
खिड़कियां होती है प्रवेश द्वार।
दिखती है बाहर की ओर,
झाड़िया पेड़ पौधे,
पंक्षी नदियां और पवन,
खिड़कियां होती है प्रवेश द्वार।
खुलते है मन,
खिलते है जीवन,
हँसते है खिलखिलाते है जन,
खिड़कियां होती है प्रवेश द्वार।
कभी वेदना बिखरती है,
कभी प्रसन्नता खिलती है,
गुजरता है कभी बचपन,
खिड़कियां होती है प्रवेश द्वार।
दिखती है तितलियां,
चमकती हुई बिजलियां,
बारिश की फुहारो का मौसम,
खिड़कियां होती है प्रवेश द्वार।
गुजरता है सावन,
तरसता हुआ मन,
बिछड़ता दिखता प्रीतम,
खिड़कियां होती है प्रवेश द्वार।
इंदु विवेक उदैनियाँ
उरई (उत्तर प्रदेश)