जब-जब बहे पुरवाई,तेरी याद आई
नहीं सह पाऊंगा तेरी जुदाई
जीने नहीं देती मुझे तेरी तन्हाई
जब जब बहे पुरवाई
तेरी याद आई तेरी याद आई
नहीं सह पाऊंगी तेरी जुदाई
जीने नहीं देगी मुझे तेरी तन्हाई
जब जब बहे पुरवाई
तेरी याद आई तेरी याद आई
हुस्न की है तू ऐसी परी
अक्सर ख्वाबों में दीखती खड़ी
है तू मेरे रूह-रूह में समाई
जीने नहीं देगी मुझे तेरी तन्हाई
जब जब बहे पुरवाई
तेरी याद आई,तेरी याद आई
देखकर तुझे कहता लाजवाब
चढती यौवन का है तू शबाब
तुझे देख फिजा हुई रू-ब-रू
देखते ही तुझे हुआ दिल मजरूह
है दिल की मुकम्मल दवाई
जब जब वह पुरवाई
तेरी याद आई,तेरी याद आई
तेरे इश्क में इस कदर रंग गया
तेरे सांचे में न जाने कैसे ढल गया
तू ना मिली अगर कुछ कर जाऊंगा
तेरे बिन तंहा रह नहीं पाऊंगा
न करूंगा तुझसे कभी बेवफाई
जीने नहीं देती मुझे तेरी तन्हाई
जब जब बहे पुरवाई
तेरी याद आई,तेरी याद आई
नहीं सह पाऊंगा तेरी जुदाई
जीने नहीं देती मुझे तेरी तन्हाई
जब जब बहे पुरवाई
तेरी याद आई,तेरी यादआई
…….राजेंद्र कुमार सिंह
लिली आरकेड,फलैट नं–101
इंद्रानगर,वडाला पाथरडीह रोड
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