आलाकमान का थूक चाटता चमचा!

चमचों के अपने चमत्कार है। वे कई-कई जगह पाए जाते हैं। सच पूछो तो ये चमचे अपने-अपने खेमों के अपने-अपने मंत्री ही होते हैं। ये बड़े चतुर, चालाक, चपल किस्म के अच्छे-खासे कौए को भी मात देने में सक्षम होते हैं। कई बार एक अच्छा खासा मंत्री अपने चमचे से चक्कर गिन्नी खाने लगता है। एक मंत्री को एक चमचे ने चुनौती दे दी कि मुझसे निपट ले। मंत्री जी चुपचाप सरक लिए। एक दलाल छुपा देखता था। उसने कहा कि बात क्या है? एक चमचे ने चुनौती दी और आप जा रहे हैं? मंत्री ने कहा- मामला तुम नहीं समझोगे। चमचे की चुनौती स्वीकार करने का मतलब हुआ कि मैं भी चमचा साबित हुआ। वह तो चमचा है ही। यह तय है कि वह विरोधी गुट का चमचा ही है। 

विरोधी खेमे का चमचा! उसकी चुनौती से ही जाहिर हो रहा है। किसको चुनौती दे रहा है? पागल हुआ है, मरने फिर रहा है। फिर दूसरी बात भी है कि चमचे की चुनौती मान कर उससे लड़ना अपने आपको नीचे गिराना है। इसलिए मैंने शांति और धैर्य का मंत्र पढ़ लिया है। शांति और धैर्य सियासी खेल की बढ़िया चालें हैं। चतुर सुजान मंत्री मौके पर शांति और धैर्य की बहुरूपिया कला में माहिर होता है। ऐसे में चमचे की चुनौती को मानने का मतलब ही यह होता है कि मैं भी उसके स्तर का हूं। उसी लेवल का हूं। मुझे याद है कि मैं चमचा नहीं मंत्री हूं। तंत्री हूं, सकल जंत्री हूं। बड़ा चालाक कंत्री हूं। जीत तो जाऊंगा निश्चित ही, इसमें कोई मामला ही नहीं है। जीतने में कोई अड़चन नहीं है। एक चाल में यह चित भी हो जाएगा। इसको पता नहीं लगेगा कि यह कौनसी राजनीतिक चाल से मारा गया है। मंत्री पद पाने से बरसों पहले तक मैंने सिर्फ चमचाबाजी का ही आकंठ पारायण किया है। चमचास्त्र से मैंने कई चमचों को ध्वस्त किया है। सियासी चालबाजी से मैं जीत जाऊंगा ही। तो भी मीडिया में प्रशंसा थोड़े ही होगी! लोग यही कहेंगे क्या जीते! चमचे से जीते! दलाल देव मंत्री की यह बात सुनकर उनके चरण चाटने लग गया।

 मंत्री जी ने अपने कुत्ते की रस्सी थामी और कहते चले गए- सुनो दलाल देव! एक बात और है। अगर कहीं भूले-चूके यह चमचा जीत गया तो! तो सदा-सदा के लिए बदनामी हो जाएगी! इसलिए भागा जा रहा हूं। चुपचाप सरका जा रहा हूं। चमचे की यह चुनौती स्वीकार करने जैसी नहीं है। चमचे की चुनौती स्वीकार नहीं करना भी एक जोरदार सियासी चाल है! मैं मंत्री हूं यह स्मरण रखना जरूरी है। चमचे आएंगे- जाएंगे। कोई चमचा किस चमचे को किस ढंग से बहकाएगा। मुझे ये सब मंत्र याद है। लेकिन अपना काम कुर्सी पर चिपके रहना ही है। घोटाला कमीशन ऐश मस्ती! यही तो है जीवन! तब दलाल ने रोकड़े का सूटकेस मंत्री के सामने धरा। तन लगाकर दलाल देव ने मंत्री के चरण चाटे। दलाल में चमचे की आत्मा उतर गई और उसने वहां से कल्टी मार ली। सोशल मीडिया में कुत्ते भौंक रहे थे। बंदर गुलाटी मार रहे थे। इन सबसे बेखबर मंत्री जी अपने कुत्ते पाल रहे थे। हर एक पार्टी में हर एक नेता के पास अपना एक निजी चमचा होता है। यह चमचा खनखन करता है। बनठन कर रहता है और मौका आने पर अपना स्वयं का थूक चाटते हुए अपने आलाकमान का थूक चाटने में अपनी महानता समझता है।

— रामविलास जांगिड़, 18, उत्तम नगर, घूघरा, अजमेर (305023) राजस्थान