पिय पैजनी पग में पहनी,
गूँज उठी हिय ताल ये|
रुनझुनरुनझुन छमछम सजनी,
महक उठी जयमाल ये||
बिंदिया कँगना नथनी डोले,
प्रीत मेरे मन भाव की|
सोलह सिंगार सजी मैं प्रियतम,
दुल्हन हूँ तेरी छाँव की||
मीठी मीठी स्वप्न हिंडोली,
झूल रही हूँ प्यार की|
प्रियतम प्रिय के संग उलझे है,
मैं भूल भुलैया संसार की||
मलय वात सुरभित चंदन ले,
आयी संग मेरे गाँव में|
महक रही हैं वो प्रति पलपल,
मैं मुरझाई इस दाँव में||
स्वप्न सुन्दरी स्वप्निल जीवन,
टूट रही क्षण में क्षण क्षण |
आना जाना भ्रम है साखी,
संग नहीं पिय पास ये||
डॉ. निशा पारीक जयपुर राजस्थान