गिरिवर तरुवर फूल मुस्कुराने को है
नव वर्ष संग नया सवेरा आने को है
हिमआच्छादित शिखरों पीछे से
बेग वती पुरवाई हंसी मुस्कुराई
आज धरा पर सरस नव बिहान से
नव हर्ष नव वर्ष आतुर आने को है
गिरिवर तरुवर फुल मुस्कुराने को है
नव वर्ष संग नया सवेरा आने को है
विहंग गाए मुस्कुराए राग भैरवी
भ्रमर मगन प्रेम धुन गुनगुनाए
रक्तिम गुलाब खिल जाने को आए
सरिता समुंदर में मिल जाने को है
गिरिवर तरुवर फुल मुस्कुराने को है
नव वर्ष संग नया सवेरा आने को है
चिड़िया भी कुन मुनाई संग सवेरा
पाकर हिमशिखर झूम ले अंगड़ाई
तरुवर ठंडी ओस बूंदों में नहाई
बीता वर्ष बातें राते जाने को है
गिरिवर तरुवर फूल मुस्कुराने को है
नव वर्ष संग नया सवेरा आने को है
सूर्य ने नई चंचल रश्मिया बिखेरा
बिहान दे रहा नवप्रभात का फेरा
बादलों ने शरारत से सूर्य को घेरा
मचलके घेरे से निकल जाने को है
गिरिवर तरुवर फुल मुस्कुराने को है
नव वर्ष संग नया सवेरा आने को है
रेखा शाह आरबी
यूपी (बलिया)