जीवन की इस बगिया को, हम बस यूँ ही महकाएँ,
रहें सदा एक-दूजे के हम और एक-दूजे के काम आएँ।
करें प्रार्थना नव-वर्ष में हम, काम सभी के बन जाएँ,
झूमें नाचें गाएं मन से, आओ मिलकर ख़ुशी मनाएँ।
आशीष बड़ों से हम लेंवें और छोटों को गले लगाएँ,
दुःख किसी को कभी न देवें, सबके मन को हर्षाएं।
पानी हवा शुद्ध रखेंगे, सभी से आज संकल्प कराएं,
माँ गंगा की करें आरती, हवन से हवा शुद्ध बनाएं।
अपने घर आँगन खेत में, आओ हम सब वृक्ष लगाएँ,
हम सब मिलकर भारत की, आओ नई तस्वीर बनाएँ।
डॉ. सारिका मुकेश
वेल्लौर-632 014