मीत मन का मिला
ज़िंदगी ख़िल गई,
मिट गए सब गिले
हर खुशी मिल गई।
टूटे दिल की दरारें
थीं गहरी बहुत,
प्यार इतना दिया
पीर सब मिट गई।
जाने होते कहां
तुम न मिलते अगर,
तुम मिले जिंदगी की
वजह मिल गई।
साथ तुमने दिया
मेरा हर मोड़ पर,
कांटों सी ज़िंदगी
फूल सी खिल गई।
मेरा अस्तित्व मेरा
नहीं अब रहा,
रूह तेरी मेरी
रूह में मिल गई।
मीनेश चौहान ‘मीन’
फर्रुखाबाद-उत्तर प्रदेश