तेरा मेरा इसका उसका रे
मानव तू क्यों करता है
जो कोई इस जग में आया,
आख़िर तो वो मरता है
जीवन क्षणभंगुर है
फिर क्यों तू नशे में चूर है
महल कल्पना के ढहते सब,
सपने सच से दूर हैं
लघु जीवन मनुष्य है तेरा,
बिरवा घृणा का क्यों बोता
जाग जा, कर मानव सेवा,
जीवन भर मूर्ख क्यों सोता
चौरासी के फेर में पड़ के,
तब कहीं जा ये तन मिलता
कर जीवन में अच्छे काम,
सत्कर्मों का है फल मिलता
मिल जुलकर सब रहना सीखो
प्रेम वचन सबसे बोलो
साथ मत दो जुल्मी का,
मौन रहो मत लब खोलो
ये जीवन पानी का बुलबुला,
जाने कब मिट जाएगा
तेरे किए भले बुरे कर्मों का,
लेखा साथ ही जाएगा
नीलोफ़र
देहरादून-उत्तराखंड