तुम भी लड़ सकती हो !!

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

दुर्गम पथ पर आगे बढ़ सकती हो ।

अपने सम्मुख पहले विकल्प धरो ।

उसको पूर्ण करने का संकल्प धरो ।

फिर जो चाहोगी कर सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

अबला नहीं अब सबला बनकर ।

उन्मुक्त गगन में घन-सा तनकर ।

फिर दुश्मनों पर बरस सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

तितली नहीं फिर से तलवार बनो ।

कम से कम फूल नहीं अंगार बनो ।

तुम दुश्मन से रण कर सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

सीमा पर जा लहू का दान करो ।

भारतीय होने पर तुम मान करो ।

लक्ष्मीबाई बन कर बढ़ सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

छोड़ नीड़ तूफ़ानों का साथ धरो ।

बाजों के झुंडो से दो-दो हाथ करो ।

अंतरिक्ष की रानी बन सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

हर चुनौती को उठ स्वीकार करो ।

हिंसकों पर राम बन प्रहार करो ।

अहिल्याबाई भी बन सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

माना ममता की अथाह थाती हो ।

सुख-दुख में भी जीवन साथी हो ।

तुम पन्नाधाय भी बन सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

मत समझो तुम अदना नारी हो ।

तुम हर आँगन की राजकुमारी हो ।

पतित संहारक भी बन सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

जब शिक्षा को हथियार बनाओगी ।

अधिकारों की रक्षा कर पाओगी ।

संविधान संरक्षिणी बन सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

लड़ कर अपना अधिकार मिला है ।

काँटों से भी सुखदायी प्यार मिला ।

क्रांति बिगुल भी बजा सकती हो !

लड़की हो तुम भी लड़ सकती हो ।

एम•एस•अंसारी”शिक्षक”

कोलकाता