पेडों की छावं में छुप नही पाती हो
पानी में भी साफ नजर आती हो
सूरत तेरी आईने की तरह है
घूँघट में भी साफ़ नज़र आती हो
दूर सितारों में दिखाई देती हो
चाँद के मानिन्द नज़र आती हो
दिल की बात कह भी सकती हो
इतना ज़ुल्म खुद पर क्यू करती हो
ख्वाबो की दुनिया से जी रही हो
किसी अज़नबी के दिल की रानी हो
सब में कहा होती है सलाहियत इश्क़ की
इश्क़ की मूरत नज़र आती हो।।।
आरिफ़ असास
दिल्ली 8448738790