“तुम रक्षक कांहुँ को डरना”

“तुम रक्षक कांहुँ को डरना” ये पंक्तियां मस्तिष्क में बैठा के रखें, की किसी से कोई डर नही हैं। कैसा डर और कैसा खतरा। ये कौनसी बात हुई की देश चलाने वाले ही डरने लगे, तब जब ये देश के उच्च सिहासन पर विराजमान हैं, कई सुरक्षा बल इनके साथ तैनात हैं, और स्वयं भी बलशाली हैं। इनके समर्थक ही इन्हें एक विशेष सम्मान का नारा देते हैं, की “मोदी हैं तो मुमकिन हैं।” तो इन्हें कैसा डर।

 हम तो बस यही कहना चाहते हैं, की आप डरो मत। आप सुरक्षित देश मे हैं। इस तरह के भय में रहेंगे, तो लोग तरह तरह की बाते करेंगे, और आपको याद भी दिलाएंगे, की यदि आप देश में सुरक्षित नही है, तो फलाने देश चले जाएं। नए नए चुटकुलें बनने लगेंगे। जैसे कोई कम बोलने वालों पर भी बनते हैं।

और देश छोड़कर तो बिलकुल भी मत जायेगा, किसी डर के कारण। नही तो हम मन की बात किनसे करेंगे। आज घर मे बैठ कर भी सभी व्यस्त है अपने फोन,लेपटॉप में। वही ये रेडियों उन लोगो का सहारा बनता हैं, जिसपर आप मन की बात करते हैं, थोड़ा मन हल्का हो जाता हैं , की इस दौड़भाग में भी कोई तो हैं, जो हमसे मन की बात करता हैं, और हमे हँसाता हैं।

यदि कोई असुरक्षित हैं, तो वो है महिलायें। जैसा कि प्रतिदिवस ही कुछ घटनाएं ऐसी सन्मुख आती रहती हैं, जिनके लिए समझ नही आता कि कौन जिम्मेदार हैं। किनसे डरें, और कहा वह सुरक्षित हैं। ऐसी स्थितियों के बाबजूद भी हर महिला अपना सुरक्षा चक्र स्वंय बनाती हैं, और अपनी स्त्रीशशक्तिकरण का परिचय देती हैं। क्योंकि कुछ विकृत मानसिकता वाले लोगों के कारण उसे खतरा कहीं भी हो सकता हैं। फिर चाहें उसका घर, मोहल्ला, शहर, या कोई धार्मिक स्थल ही क्यों न हों। हर जगह एक अनजाना सा डर, और ख़ौफ़नाक ख़तरा।

अब अगर ऐसी हवा चल पड़ी हैं, की उच्चस्तरीय लोगों को यह लगने लगा हैं, की वो यहाँ सुरक्षित नही हैं, जिनके मजबूत कन्धों पर पूरे देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी हैं, तो वहां की जनता कैसे सुरक्षित हैं। सोचनीय  स्थिति…

पिंकी शेखर जैन