शायर को सलाम

उस,

पुराने शायर को सलाम,

जो,

अब तक छुपा बैठा था,

अपनी ही रूह के साए में,

तन्हा,

आज निकला है,

दुनिया की भीड़ में।

शायद,

उस खुले आसमां की चाह में,

जहाँ,

वह रह सके,

चैन-ओ-सुकून से,

लेकर नित नए ख्वाब,

बांटने चुनी हुई यादें,

आख़िर,

कब तक दबा रहता,

उसी टूटी हुई,

पुरानी सी नीड़ में।।

तुषार शर्मा “नादान”

     राजिम

जिला – गरियाबंद

   छत्तीसगढ़