पिता 

वृक्ष की घनी 

छाँव सा 

सशक्त दृढ़ आभास 

एक अटल 

विश्वास सरीखा 

मन का सुदृढ़ पड़ाव । 

पिता 

सम्पूर्ण काव्य रस 

जैसा 

छन्द अलंकृत 

नव सृजनशील 

सा भाव 

एक बलिष्ठ वलय बाँह का 

सर पर शीतल 

सी छाँव । 

पिता 

एक संगीत भरा स्वर 

सरगम से परिपूर्ण 

एक ख़याल 

मधुरस कें जैसा 

सरस और उपयुक्त । 

पिता 

कर्मठ भाव निष्ठता 

कर्म का दिव्य स्वरूप 

तृप्त प्यास 

आकंठ लगे 

परिपूर्ण और सम्पूर्ण । 

पिता 

झूले की पैंग सरीखा 

उल्लास भरा उत्साह 

स्कूल का लगता 

पूरा बस्ता 

जीवन से  

परिपूर्ण  किताब । 

पिता 

माता के उजले 

ललाट की 

लाल गोल सी आभ

खुली बाहें लगे 

सशक्त सी 

मन अवलम्बन 

की चाह । 

पिता 

एक सुस्वादु 

व्यंजन 

तृप्त आचमन भाव 

विशाल खुला 

आकाश सा 

धीरज का एहसास । 

पिता

से नाता 

कमल नाल सा 

नया निकोर सा ख़्वाब 

एक सुखद सुकून लगे 

जिसका ना कोई 

पर्याय ॥ 

-रेखा घनश्याम गौड़

8209635780