माँ का दर्द  

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उम्र  के  इस  पड़ाव  मोड़  पर

कैसा ये मुश्किल दिन आया हैं 

परिवार की  ख़ुशियों पर  क्यों

 अब जाने  किसका  साया हैं ।

बेटी की याद में माँ का दिल भी

हर पल तड़पता-  सा  रहता  हैं 

लेकिन बेटी क्या तेरा अब मुझसे

कोई नाता – रिश्ता भी बचता है।

राह  तेरी  देख  रहे  है मेरे  नैना

भैया  तेरा  पुछता   हैं  हर  पल 

क्यों  ऐसा   किया मेरी   बहना 

वापस  मिल   कर लें हम  हल।

सुना   पड़ा   मन   का  आँगन 

सब   सँभाल    लेंगे   मिलकर 

जब   साथ    होगा   तन- मन

खुशियां आएगी फिर  चलकर। 

हर  त्यौहार  आकर  चला गया 

तेरी  चिंता  पल पल   बनी रही

देख,  तेरी  फ़िक्र  में    माँ   की  

हालत  पल – पल  बिगड़  रही।

भाई  जो  कभी बोल नहीं पाता 

आँखों में अपने आँसू छुपाता हैं 

बहिन  जो कल  तक  छोटी  थी 

संभालना  उसे  भी तो आता हैं ।

मुश्किलों  में  होश   खोना ऐसा  

मैंने   ऐसा  कब  तुम्हें  सिखाया 

मेरी  परवरिश  को  क्यों   तुमने 

अपने कर्मों से दाग़दार करवाया ।

आजा  बेटा, माँ  है  पुकार  रही  

विनती    करती   सौ- सौ   बार

मौक़ा अब एक देकर  संवार ले 

जीवन मिलता नहीं  बार- बार ।

◆ रीना अग्रवाल, सोहेला (उड़ीसा)