इसे कहते हैं
दुनियाँ मेरी जान
हर कोई है
यहांँ मुखौटे में
चारों तरफ
नजर दौड़ा कर
कहीं भी देख लो
सिर्फ मुखौटे ही मुखौटे
नजर आएंगे जिन्हें
सब अपनी सहूलियत
व जरूरत मुताबिक
लगा लेते हैं
अलग-अलग
मुखौटे यहाँ
सरे आम
बिकते हैं यहाँ
आलम यह
हो गया अब कि
बिना मुखौटे
सूरतें लोगों की
बड़ी कुरूप लगती
अब शिकायत कैसी
मुखौटा
तुमने भी पहना है
मुखौटा मैंने भी
पहना है ।
● योगिता जोशी ‘अनुप्रिया’
झोटवाड़ा, जयपुर -302012
,राजस्थान