अजेय हैं सवाल

                       -सन्तोष सुपेकर

पत्थरबाजी की घटना हुई

कुछ घायल हुए,कुछ  गम्भीर घायल।

और कुछ होने से पहले

उठने लगे सवाल

पत्थरों से ज्यादा ऊँचे

उछलने लगे सवाल।

कुछ जवाब आए भी तो 

उनकी कोख से

 फिर उठे सवाल।

सवाल,

जो जवाब नही मांगते ।

बल्कि  ढूंढ लेते हैं

जवाबों में सवाल,

सवालों में सवाल

बवालों में सवाल

चुप्पी में सवाल

आज के सुलगते  सवाल।

इस घटना में भी यही हुआ

खड़े हो गए सवालों पर सवाल।

तभी सामने आया एक चश्मदीद

बताने लगा सच्चाई

लगा,थम जाएगा बवाल

पर नही,

फिर बनने लगे सवाल 

फिर उठने लगे सवाल

कि “चश्मा”कौनसा 

लगा रखा है इस “चश्मदीद” ने!

जेब देखी क्या इसकी?

देखा इसका आधार कार्ड?

टटोली इसकी हिस्ट्री ?

ये कहीं एजेन्ट तो नही

……. …….      पार्टी का?

और सवालों के इस चक्रव्यूह में

मारा गया अभिमन्यु रूपी सच

जारी रहा बवाल

खिंचती रही बाल की खाल

और फिर जीत गए सवाल।।

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सन्तोष सुपेकर

31,सुदामा नगर,उज्जैन