वो खत

वो खत मुझको ताके बार-बार।

खोलती बंद करती हजार बार।

शब्द दिल को पुकारे बार-बार।

नही पता उस उम्र में क्या प्यार।

गुस्ताखी पर गुस्सा आए बार-बार।

फिर भी दिल धड़के होके बेकरार।

नज़रे मिलने गई थी करने तकरार।

मोहब्बत की जमीं आई दिल हार।

कागज़ पर शब्दों की गुस्ताखियां।

खत में उकेरी जज्बातों की दुनिया।

नदी बनी तेरी और तू प्यारा सागर।

किसमे हिम्मत रोके नदी राह आकर।

उस खत का नजरों से ना निकलना।

वक्त बदला पर खत नही वो बदला।

वो खत तेरा आज भी गुदगुदाता है।

वो खत तेरा दिल में मुस्कराता है।

वीनस जैन शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश