दिलों में गंदगी भरते यहां पर यार देखा है,
छुपाकर हाथ में लाते हुए हथियार देखा है।
सुने दिल तोड़ने वाले बड़े बेरहम हैं होते,
ज़माने में खुदाई को अब सरेआम देखा है।
बड़ा मासूम है दिलवर कभी वो प्यार करता है,
जफा करके वफा करने बरी इल्जाम देखा है।
मिले थे प्राण बन प्रियतम सदा सांसों रहे मेला,
किसी से ना गिला कोई न कोई खास देखा है।
मुहब्बत भी इबादत है दिलों को जोड़ने वाली,
मगर खंजर बिना ‘अलका’ कटे ईमान देखा है।
अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’
लखनऊ उत्तर प्रदेश।