आमतौर पर बरसात का मौसम कानों के लिए भी खराब होता है। कान के बाहरी भाग (एक्सटर्नल ईयर) में जीवाणु और फंफूदी (फंगल) के संक्रमण बारिश के मौसम में बढ़ जाते हैं। वहीं कान के बीच वाले भाग (मिडिल ईयर) में ओटाइटिस मीडिया नामक आदि संक्रमण भी बढ़ जाते हैं।
ध्यान रखें
कान की पुरानी बीमारियां जो अन्य मौसमों में दबी (इनएक्टिव) रहती हैं, वे भी मानसून के मौसम में परेशान करने लगती हैं। वहीं कुछ लोग बरसात के मौसम में भी तैराकी करते हैं। इस कारण दूषित पानी के कान में जाने से कान की बीमारियां काफी बढ़ जाती है। इस मौसम में बारिश में भीगने या फिर वातावरण में नमी होने से जुकाम और गला खराब होने की आशंकाएं काफी बढ़ जाती हैं, जिनका असर कानों पर भी पड़ता है।
ऐसे करें बचाव
नहाते समय कान में रुई लगाकर पानी जाने से बचाएं। कान को ज्यादा साफ न करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे कान की त्वचा में चोट लगने और इसके बाद संक्रमण होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।
ठंडे पदार्थ के सेवन से बचें
बरसात के मौसम में ठंडे पदार्थों के अधिक सेवन से बचना चाहिए। जुकाम या गला खराब होने पर शीघ्र ही इनका इलाज कराएं।
ईयर प्लग का इस्तेमाल
तैराकी के समय ईयर प्लग का इस्तेमाल करना चाहिए। उपर्युक्त सुझावों पर अमल करने से बारिश के मौसम में कान से संबंधित बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है। जरूरत पड़ने पर नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।