थायरॉइड एक गंभीर रोग है, जिसके मरीजों की संख्या हर साल लाखों में बढ़ रही है। लंबे समय तक थायरॉइड जानलेवा भी हो सकता है इसीलिए इस रोग को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। थायरॉइड हमारे गले के अंदर स्थित एक ग्रंथि है, जो विशेष प्रकार के हार्मोन्स का निर्माण करती है। जब ये ग्रंथि ठीक तरह से काम नहीं कर पाती है और जरूरत से ज्यादा या कम मात्रा में हार्मोन्स का निर्माण करने लगती है, तो थायरॉइड की समस्या शुरू हो जाती है। आमतौर पर थकान आना, रोग-प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना, जुकाम होना, त्वचा का सूखना, अवसाद होना, वजन बढ़ना और हाथ-पैर ठंडे रहने जैसे लक्षण थायरॉइड का संकेत हैं। थायरॉइड के उपचार के द्वारा इस विकार को समाप्त किया जाता है, जिससे थायरॉइड हार्मोन को संतुलित किया जा सके।
इन तरीकों से हाइपरथायरॉइडिज्म का इलाज किया जा सकता है।
एंटीथायरॉइड दवाएं
थायरॉइड में सामान्य समस्याएं जैसे बुखार, खांसी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं लेकिन थायरॉइड के कारण ऐसी समस्याएं होने पर आपको सामान्य दवाएं नहीं खानी चाहिए बल्कि चिकित्सक से पूछकर ही दवाएं खानी चाहिए। रोग की शुरुआत में मरीजों को एंटीथायरॉइड दवाएं देकर रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए थायरॉइड के मरीजों को चिकित्सक से सलाह लेकर एंटीथायरॉइड गोलियां खानी चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीथायरॉइड गोलियां आपके लिए हानिकारक हो सकती हैं।
हाइपरथायरॉइडिज्म के लिए रेडियोएक्टिव आयोडिन
रेडियोएक्टिव आयोडिन के द्वारा थायरॉइड को धीरे-धीरे छोटा किया जाता है और अंत में इसे नष्ट कर दिया जाता है। ये उपचार सुनने में जितना कठिन लग रहा है, उतना ही आसान है। ये ट्रीटमेंट हाइपरथायरॉइडिज्म का एक सुरक्षित उपचार है। थायरॉइड के मरीज को रेडियोएक्टिव आयोडिन, टेबलेट या लिक्विड माध्यम से दिया जाता है। इस उपचार के द्वारा थायरॉइड की ज्यादा सक्रिय ग्रंथि को काटकर अलग किया जाता है। लगातार आयोडिन स्कैन चेकअप के बाद मरीज को रेडियोएक्टिव आयोडिन दिया जाता है। ये आयोडिन स्कैन हाइपरथायरॉइडिज्म की पुष्टि करता है। रेडियोएक्टिव आयोडिन थायरॉइड की कोशिकाओं को समाप्त करते हैं। इस थेरेपी से शरीर को कोई भी साइड-इफेक्ट नहीं होता है।
रेडियोएक्टिव आयोडिन इलाज
रेडियोएक्टिव आयोडिन 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में भी सुरक्षित तरीके से प्रयोग किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी में रेडियोएक्टिव आयोडिन ट्रीटमेंट का इलाज नहीं किया जाता है। इससे मां और बच्चे को नुकसान हो सकता है। दिल के मरीजों के लिए यह उपचार बहुत ही सुरक्षित होता है। इस थेरेपी से 8-12 महीने में थायरॉइड की समस्या समाप्त हो जाती है। सामान्यतया 80 प्रतिशत तक थायरॉइड के मरीजों को रेडियोएक्टिव आयोडिन के एक ही खुराक से उपचार हो जाता है लेकिन थाइराइड की समस्या गंभीर होने पर इसके इलाज में कम से कम 6 महीने तक लग सकते हैं।
सर्जरी द्वारा थायरॉइड का इलाज
सर्जरी के द्वारा आंशिक रूप से थायरॉइड ग्रंथि को निकाल दिया जाता है, जो कि बहुत सामान्य तरीका है। थायरॉइड के मरीजों में सर्जरी के द्वारा मरीज के शरीर से थायरॉइड के उन ऊतकों को निकाला जाता है, जो ज्यादा मात्रा में थायरॉइड के हार्मोन पैदा करते हैं लेकिन सर्जरी से आसपास के ऊतकों पर भी प्रभाव पडता है। इसके अलावा मुंह की नसें और चार अन्य। ग्रंथियां (जिनको पैराथायरॉइड ग्रंथि कहते हैं) भी प्रभावित होती हैं जो कि शरीर में कैल्शियम स्तर को नियमित करती हैं। थायरॉइड की सर्जरी उन मरीजों को करानी चाहिए जिनको खाना निगलने में दिक्कत हो रही हो और सांस लेने में दिक्कत हो। प्रेग्नेंट महिलाएं और बच्चे जिनके लिए थायरॉइड की दवाएं सुरक्षित नहीं मानी जाती हैं, उनके लिए सर्जरी उपयोगी है।