श्रीलंका राष्ट्र में इस समय जो स्तिथि देख रहें है वह वाकई में चिंताजनक है! तेल, पेट्रोल किसी भी चीज की हालत इतनी खराब है कि कहीं पर भी कुछ भी अवेलेबल नहीं हो रहा। यहां तक कि देश के बड़े शहरों में रसोई गैस भी मौजूद नहीं है ऐसी स्थिति में लोगों को लकड़ी और कोयलों पर खाना बनाने को मजबूर हो गए। इंदौर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तनुज दीक्षित आज बता रहें है की इन्ही सब के चलते, जनता बहुत आक्रोशित हो चुकी है।
द्विप राष्ट्र श्रीलंका संकट में क्यों है?
श्रीलंका लगभग दिवालिया हो चुका है और उसने इस वर्ष देय विदेशी ऋण में $7 बिलियन डॉलर का भुगतान स्थगित कर दिया है। इसका विदेशी भंडार लगभग समाप्त हो गया है और यह भोजन, ईंधन, रसोई गैस और दवा आयात करने में असमर्थ है। अब महंगाई का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोग रोजमर्रा के सामान भी नहीं खरीद पा रहे हैं.
श्रीलंका को पड़ रही है आर्थिक मार
विदेशी मुद्रा भंडार खाली होने से श्रीलंका की मुद्रा बहुत तेजी से कमजोर हो रही है. इस साल की शुरुआत में एक डॉलर 200 श्रीलंकाई रुपये के बराबर था. अब एक डॉलर का भाव 365 श्रीलंकाई रुपये हो गया है.
कितना कर्जा है श्रीलंका पर?
दीक्षित ने बताया की 2010 के बाद से ही लगातार श्रीलंका का विदेशी कर्ज लगातार बढ़ता गया है। यह देश एक्सपोर्ट से लगभग 12 अरब डॉलर की कमाई करता है, जबकि इम्पोर्ट का उसका खर्च करीब 22 अरब डॉलर है, यानी उसका व्यापार घाटा 10 अरब डॉलर का रहा है। पिछले 2 सालों में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटा है। इस साल मई अंत तक श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में केवल 1.92 अरब डॉलर ही बचे थे, जबकि 2022 में ही उसे लगभग 4 बिलियन डॉलर का लोन चुकाना है। इस समय श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है, विदेशी मुद्रा भंडार 2 अरब डॉलर से भी कम! राष्ट्र की औसतन महंगाई दर 30 फ़ीसदी तक बढ़ चुका है अगर जल्द स्तिथि समान्य नहीं हुई तो यह 70 फ़ीसदी तक भी जा सकती है ! द्विप राष्ट्र श्रीलंका ने अपना ज्यादातर कर्ज चीन, जापान और भारत जैसे देशों से लिए हैं।
श्रीलंका में क्यों बना राजनेतिक संकट?
श्रीलंका में एक ही परिवार के सात लोग सरकार में प्रमुख पदों पर काबिज हैं. राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री तक सभी लोग राजपक्षे परिवार से हैं, श्रीलंका के इन बदतर हालातों के लिए राजपक्षे परिवार के भ्रष्टाचार और गलत नीतियों को जिम्मेदार माना जा रहा है. राजपक्षे परिवार अरसे से श्रीलंका की बड़ी राजनीतिक ताकत रहा है साथ ही सरकार चलाने में पूर्णतः असफल रहें है, प्रदर्शन कारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है। इस समय देश में कोई सरकार नहीं है।
अधिवक्ता तनुज दीक्षित ने बताया की क्या है श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों की 5 प्रमुख मांगे ?
1.) श्रीलंका देश का नया संविधान बनाया जाए!
2.) उस संविधान में राष्ट्रपति की शक्तियों को कम किया जाए!
3.) पॉलिटिकल सिस्टम का जनतंत्रीकरण हो!
4.) महिलाओं और बच्चों को अधिक सुरक्षा मिले!
5.) सभी पार्टियों को मिलाकर अंतरिम सरकार बनाई जाए!
श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति उसे हिंद महासागर में एक रणनीतिक महत्व देती है और इसी वजह से चीन उसपर नजर बनाए हुए है. चीन ने पहले श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया और अब धीरे-धीरे वहां की संपत्तियों को निगलने की फिराक में है, लेकिन अब शायद श्रीलंका चीन की इस चाल को समझ चुका है और भारत के करीब आता दिख रहा है. श्रीलंका को शायद भरोसा हो गया है कि भारत ही उसका हितैषी है.
यह है ड्रैगन का पूरा खेल
तनुज ने बताया की श्रीलंका में बिगड़ रहे आर्थिक हालात के पीछे चीन को भी अहम कारण बताया जा रहा है! भारत देश को अपने पड़ोसियों से दूर करने की चीन की रणनीति अब साफ हो चुकी है. इसके तहत वो पाकिस्तान, नेपाल या बांग्लादेश को ही नहीं भड़का रहा, बल्कि एक और तरीका भी है, जो ज्यादा आसान है. चीन छोटे देशों को आर्थिक मदद देकर उनकी जमीन हड़प रहा है. श्रीलंका भी ऐसा ही देश है. द्वीप देश के हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन लगभग कब्जा कर उसे अपने तरीके से बना रहा है. यहां तक कि वो कोलंबो पोर्ट सिटी भी बना रहा है, कोलंबो के इस प्रोजेक्ट में चीन अपनी मुद्रा और अपने मजदूर लाएगा. यानी श्रीलंका की राजधानी में भारी संख्या में चीनी आबादी बस जाएगी, कुछ रोज पहले ही श्रीलंका में चीन के सैनिक भारी संख्या में दिखे है! इसके अलावा ये भी प्रस्ताव है कि कोलंबो के इस नए शहर में चीन का पासपोर्ट हो, जिस पर मंदारिन भाषा में बातें हों. कुल मिलाकर देखा जाए तो समझ आता है कि चीन कैसे श्रीलंका में अपने पांव पसार रहा है.
अभी किसके हाथों में होगी श्रीलंका की डोर?
वैसे तो राष्ट्र में किसी भी राज्य में सरकार असफल होती है तो राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, परन्तु श्रीलंका में मामला ही अलग है, राष्ट्रपति गोटाया राजपक्षा इस समय फरार हो चुके है। प्रधानमंत्री पहले यह अपने पद से इस्तीफा दे चुका है। ऐसे में अगर हम देश की स्थिति देखें तो इस समय देश की डोर राष्ट्र के स्पीकर के हाथों में है। ऐसे में जल्द ही नई सरकार का गठन करना होगा अन्यथा देश बिखर सकता है। गोटाया के खास, रानील विक्रम सिंघे बन सकते है श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री! श्रीलंका में नई सरकार बनने से बहुत जल्दी कोई फ़र्क नहीं पढ़ने वाला क्योंकि यह राष्ट्र इस समय आर्थिक मार से जूझ रहा है, और आर्थिक मजबूत होना इतना जल्द संभव नहीं हो पाएगा! देश को कम से कम 1 से 2 साल चाहिए!