नई दिल्ली । भारत के 17 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है यह वह सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल है। इनमें से 12 प्रदेशों में पार्टी के मुख्यमंत्रियों ने कमान संभाल रखी है। सवाल है कि इनमें से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री कौन है? बहरहाल, साल 2024 लोकसभा चुनाव के लिए सियासी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहीं, इससे पहले कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश जैसे कई राज्य विधानसभा चुनाव के दौर से गुजरने वाले हैं। भाजपा नेताओं का मानना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीएम मोदी के पसंदीदा सीएम हैं। वह शासन का रिकॉर्ड इसकी वजह बताते हैं। साल 2022 में ही भाजपा ने राज्य में सीएम आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है। हालांकि, पीएम के गुड लिस्ट में शामिल सीएम के नाम यहीं खत्म नहीं होते हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हैं कि योगी आदित्यनाथ के अलावा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के काम करने के तरीके को पीएम पसंद करते हैं। साथ ही इन तीनों मुख्यमंत्रियों को अपने काम के तरीकों के चलते पीएम की सराहना भी हासिल है। रिपोर्ट में अंदरूनी सूत्रों के हवाले से बताया गया कि पीएम से मुलाकात के दौरान सीएम अपने साथ नोटपैड और पेन रखते हैं।
अजीत झा/ देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/25/अगस्त/2022
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(नई दिल्ली) कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव पर चर्चाएं तेज आप ने बुलाई अहम बैठक
नई दिल्ली (ईएमएस)। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज हो चुकी हैं। खबरें हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस दौड़ में हैं। हालांकि, अभी तक उम्मीदवारों को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पाई है। इधर, दिल्ली में आम आदमी पार्टी आर-पार के मूड में नजर आ रही है। गुरुवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर विधायकों की बैठक होने जा रही है। जानते हैं देश-दुनिया की बड़ी खबरें। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर चर्चाएं हैं। हालांकि, ये चर्चाएं फिलहाल मीडिया रिपोर्ट्स तक ही हैं, लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह दांव मुश्किलों से जूझ रही पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है। वहीं, अगर राजनीतिक स्थिति को देखें, तो वायनाड सांसद राहुल गांधी मुकाबले गहलोत इस पद के लिए ज्यादा फिट नजर आते हैं। आम आदमी पार्टी ने गुरुवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर बुधवार को पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (पीएसी) की हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक केजरीवाल के आवास पर सुबह 11 बजे होगी, जिसमें दिल्ली के मौजूदा हालात पर आगे की रणनीति को लेकर चर्चा होगी। बुधवार को हुई पीएसी बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालात और भाजपा की ओर से दिल्ली की सरकार गिराने के प्रयासों की बात कहते हुए निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया।
अजीत झा/ देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/25/अगस्त/2022
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(नई दिल्ली) कोयले की मारामारी के बीच बिजली उत्पादन के लिए परमाणु ऊर्जा पर जोर
नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा उत्पादक अब देशभर में बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की योजना बना रहा है। एक सप्ताह पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि देश में परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन पर बल देना है। एनटीपीसी लिमिटेड अब तक बिजली उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा कोयला पर ही भरोसा करता था। हालांकि अब यह सरकार से न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने की बातचीत कर रहा है। जानकारी के मुताबिक एनटीपीसी मध्य प्रदेश में 700 मेगावॉट का रिएक्टर लगाना चाहता है। इस योजना को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। हालांकि एनटीपीसी ने इतना जरूर कहा था कि वह हरियाणा में वह न्यूक्लियर रिएक्टर लगाना चाहता था। भारत 6 गीगावाट की क्षमता वाला प्लांट तैयार कर रहा है। इंटरनेशल एटमिक एनर्जी एजेंसी के मुताबिक यह चीन के बाद दूसरा सबसे ज्यादा परमाणु क्षमता वाला रिएक्टर होगा। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने लक्ष्य रखा है कि अगले दशक तक भारत में परमाणु ऊर्जा के प्लांट तीन गुने हो जाएं ताकि क्लीन एनर्जी जनरेशन में मदद मिल सके। यह जीरो कार्बन 2070 की ओर एक कदम हो सकता है। वर्तमान की बात करेंतो भारत 70 फीसदी बिजली कोयले से बनाता है वहीं परमाणु ऊर्जा से सिर्फ 3 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन होता है। एक विशेषज्ञ के मुताबिक, न्यूक्लियर पावर ही बिजली के उत्पादन का सबसे अच्छा तरीका है जो कि जीरो कार्बन की ओर भारत को ले जा सकता है। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा प्राइवेट कंपनियों को भी सरकार के साथ आना चाहिए और इस दिशा में काम करना चाहिए। बता दें कि 2008 में अमेरिका से एक सहमति के बाद भारत को सिविल प्रोग्राम के लिए विदेश से परमाणु तकनीक और कच्चा मेल लेने की अनुमति मिली थी। 2011 में जापान में हुई ट्रैजडी के बाद इसको लेकर एक तरह का डर समा गया था और इसके बाद इस दिशा में काम धीमा हो गया था। अभी भारत के पास 6.8 गीगावॉट का न्यूक्लियर पावर प्लांट है जो कि केवल 1.7 फीसदी बिजली का ही उत्पादन करता है। दिल्ली का एनटीपीसी 92 फीसदी कोयले से ही चलता है लेकिन लक्ष्य है कि इसे 2032 तक आधा कर देना है।