सुना है आज खबरें बिकी है।
बेटी की अस्मिता जो बचाए
वो आँचल बिकी है।
सुना है आज खबरें बिकी है।
बाप की पगड़ी उतर गई सरे
आम सुना है आज बेटी बिकी
है।
सुना है आज खबरें बिकी है।
संस्कारो के भेंट चढ़ा दी गई
भाई की सरकारी नौकरी।
सुना है आज फिर एक
ईमानदारी बिकी है।
सुना है आज खबरें बिकी है।
माँ के आँसू जो पोछे वो
बेटा शहीद हुआ है।
झूठे नेताओं में जो जान फूँक दे,
वैसे शहीद की आत्मा बिकी है।
सुना है आज खबरें बिकी है।
खबर छापने वाले इंसान बिके है।
अब कौन लिखेगा हकीकत-ए-सूरत
इस समाज का।
दौर झूठ का जमाना है।
यहाँ परिवारों में रिश्ते बिके है।
भाई-भाई का ना हुआ
पड़ोस का सगा हुआ।
जो समझे अपना वो भी
बिक गया। परायों की गलियों में।।
अब तो कलम बिकती है
और कलाम भी बिकते है।।
दिलों के एहसास सरे आम
बिकते है।।
आँसू बिकते है,यार बिकते है।
जख्म में जो लगाए मलहम
वो मलहम बिकते है।।
सुना है आज खबरें बिकी है
..निर्मला की कलम से
निर्मला सिन्हा ग्राम जामरी डोंगरगढ
छत्तीसगढ से एक सोशल वर्कर