■ ताबूत उठाते सैनिक।
■ सवाल उठाते विपक्षी।
■ पुष्पचक्र चढ़ाते अफ़सर।
■ शस्त्र उलटती टुकड़ी।
■ मातमी धुन बजाते बिगुल।
■ गहन शोक में डूबे परिवार।
■ जान गंवाते जांबाज़ जवान
■ ज़ुबानी दंगल कराते चैनल।
■ बहस-मुबाहिसा करते विशेषज्ञ।
■ दुश्मन पर गुर्राते टीवी एंकर।
■ मख़ौल उड़ाते शत्रु प्रतिनिधि।
■ खूनी खेल खेलते उन्मादी।
■ निंदा के रटे हुए जुमले।
■ धमकी भरे थोथे बोल।
■ वही इतिहास, वही भूगोल।
■ अट्टहास करते मास्टर-माइंड।
■ मुआवज़ा बांटती सरकारें।
■ भंडारों में कराहते अस्त्रायुध।
■ निरापद, निर्विकार देशवासी।
■ ख़ुद को दोहराते घटनाक्रम।
■ मातम की प्रतीक मोमबत्तियां।
■ नई रणनीति गढ़ते आतंकी और
■ प्रपंचों में लगी कुलटा सियासत।
कुल मिला कर
जनभावनाओं व अपेक्षाओं पर बेशर्मी का डाका और मटरगश्ती में जुटे आका। मुबारक हो लोकतंत्र पर डाका।।
■ प्रणय प्रभात ■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)