जाहिलों ने पहन रखा है फाजिलों के मुखौटे
क़ातिल डाले हैं सफेदपोश साथियों के मुखौटे
लकीरें दूसरों की छोटी करते हैं मिटा मिटाकर
झूठे माझी की बातें गलत साहिलों के मुखौटे
दूध का धुला कह कर जहर टपका रहे बातों से
मुंह में राम बगल में छुरी कातिलों के मुखौटे
रस्सी जल जाती है पर ऐंठ नहीं जाती है दोस्तों
नकली जांबाजों ने फेंके हैं बुजदिलों के मुखौटे
उंगलियां उठाते है दूसरों की सही करतूतों पर
अपनी गलतियों पर डालें ज़िंदादिलों के मुखौटे
डॉ टी महादेव राव
विशाखपट्नम आंध्रप्रदेश